अमलतास
अमलतास अमलतास के सारे पत्ते झड़ गए थे गर्मी आते ही पेड़ ठूँठ सा खड़ा था दिल में एक हूक सी उठती थी देख कर कुछ दिनों बाद छोटे-छोटे पत्ते निकल आये नाजुक सी कोमल-कोमल पत्तियाँ मैं ने उँगलियों से छूआ लगा मेरी उँगलियाँ बहुत रुखी हैं पत्ते बहुत ही कोमल हैं ये उँगलियाँ उनका नुकसान कर बैठेंगी डर कर छोड़ दिया जल्दी से फिर कुछ ही दिनों में निकलआए उसमें पीले-पीले फूलों के गुच्छे धरती की ओर झुके हुए मैं सोचने लगी सारे फूल तो ऊपर की ओर खिलते हैं ये अमलतास के गुच्छे नीचे की ओर क्यों झुके होते हैं ? इतनी सुंदरता और ऐसी सादगी ! गजब का है उसका सौन्दर्य जब उसके गोल-गोल छोटे-बड़े फूल हवा में डोलते हैं सागर के उर्मिल तरंगों सा मन हिलोरें लेने लगता है हियरा जुड़ा जाता है और भला बसंत कैसे आता है ? --- मुकुल कुमारी अमलास ( चित्र गूगल से साभार )