हर लड़की में एक बावलापन छुपा होता है आज अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर यह कविता उसी बावलेपन के नाम-----
हर लड़की
हर लड़की
थोड़ी सी पागल होती है
बौराई सी ढूँढती है
बादल और पानी सा सामीप्य
धरती आसमान सी दूरी
फूल और भौंरों सा संबंध
चाहती है
गौरैया की भाँति
एक घोंसला बना कर
पेड़ों पर टंगी रहना
मानव के बनाये नियमों
के कारागार से मुक्ति
घर की चहारदीवारी में
एक झरोखा खोलना
उससे आती ठंडी हवाओं में
जी भर सांस लेना
चारों दिशाओं में तोरण सजा कर
घर को स्वर्ग बनाना
समस्त रिश्तों को समेट
उन्हें अपना बना लेना
संपूर्ण ब्रह्मांड को आलिंगन में समो
उसकी समरसता में डूबना
उसकी अभीप्सा
एक पागलपन
भला उसका क्या महत्त्व ?
----- मुकुल कुमारी अमलास
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