सभी को नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है मेरी यह कविता.........


नये साल में

सोने सी हो सुबह सुनहरी  
चाँदी सा चमचम दिन हो 
रेशम सा फैले अंधियारा 
सुरमई सी हो काली रैना 
चाँद सभी के अंगना उतरे
निंदिया भरी हो नैना  
रोज छुऐं हम नई ऊँचाई
कभी न जाने गिरना 
इंद्रधनुषी हो जीवन सबका
साथ  हो कोई अपना  
नये साल में है ये कामना 
पूरा हो सबका  सपना ।
           

                           __ मुकुल कुमारी अमलास



(फ़ोटो गूगल से साभार)

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मायका होता है बेटियों के लिए स्वर्ग की देहरी पर वह अभिशप्त होती हैं वहाँ ठहरने के लिए सिर्फ सीमित समय तक। शायद इसीलिए उसका आकर्षक है। मेरी यह कविता मायके आई ऐसी ही बेटियों को समर्पित ......

नए साल की आमद कुछ-कुछ ऐसी हो।

सन्नाटा और शान्ति में बड़ा सूक्ष्म अंतर है उसे एक समझने की हमें भूल नहीं करनी चाहिए , अंततः सबका लक्ष्य तो शांति प्राप्त करना ही हो सकता है ........