सन्नाटा और शान्ति में बड़ा सूक्ष्म अंतर है उसे एक समझने की हमें भूल नहीं करनी चाहिए , अंततः सबका लक्ष्य तो शांति प्राप्त करना ही हो सकता है ........

सन्नाटा या शांति 





मेरे अंदर पसरा है
एक चुभता हुआ सन्नाटा
इसमें उदासी है
वीरानी है
एक भय
और अकेलेपन का एहसास
जो निचोड़ता है मुझे
अंदर से
और मेरी जिजीविषा
पर करता है प्रहार
प्रयासरत हूँ
इससे निजात पाने में
इस सन्नाटे को
बदलना है मुझे शान्ति में
जब ध्यान के फूल खिलेंगे
मौन का संगीत बजेगा
सौंदर्य का घूप  खिलेगा
आनंद की सरिता बहेगी
और होगा अस्तित्व से
एकात्मकता का एहसास ।

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