पौत्र


पौत्र
जब भी मैं देखती तुम्हें

मुझे याद आता एक साथ
पीपल के मसृण पात
और अपने कमजोर पड़ते गात
प्रकृति का यही नियम
नवीन का आगमन
पुरातन का गमन

तेरे नाजुक हाथों की छुअन

जैसे कोई तितली फड़फड़ाई हो

तेरी किलकारियाँ जैसे किसी झरने से

दुध की धार निकल आई हो

तेरा भोलापन जैसे दुधिया चाँदनी

मेरे आँगन में उतर आई हो
तेरी शरारतें जैसे कोई खरगोश 

जंगल से निकल मेरे घर में घुस आया हो
खेलते-खेलते मेरी गोद में नींद से लुढ़क जाना तेरा 

जैसे सारी कायनात पर बेसुधी सी छाई हो

डगमगाते हुए तेरे बढ़ते कदम
लगता जैसे सारी दुनियां ही नाप ली मैं ने

तेरे मुंह से निकलते स्फुट शब्दों की लड़ी

जीवन के सारे मर्म समझाते से लगे हैं मुझे

अब नहीं दुःखी मैं

कि जीवन का अध्याय सिमट रहा

तेरे रूप में जीवन की कहानी का

सुनहरा शीर्षक जो पा लिया

तेरे रूप में जीवन्यास पाकर जी उठी हूँ

प्रकृति शाश्वत है

अब दिखता साक्षात

ओ मेरे बाग के सुनहरे गुलाब



..... मुकुल अमलास......  




(फोटो गूगल से साभार)









टिप्पणियाँ

  1. कहते हैं मूल धन से प्यारा सूद -- इसी तरह से एक दादा दादी के लिए नवजात पोत्र से बढ़कर कोई खुशी नहीं कितने स्नेहिल भाव हैं | मानों कोई स्नेह का कलकल झरना | मंत्रमुग्ध करती रचना जो मुझे कभी नहीं भूलेगी | सस्नेह शुभकामनायें मुकुल जी | जिस नवागत के लिए आपने ये लिखा है वह यशस्वी और चिंरजीवी हो मेरी यही कामना है --
    ये स्नेहिल भाव अपने साथ लिए जा रही हूँ -------
    तेरे नाजुक हाथों की छुअन
    जैसे कोई तितली फड़फड़ाई हो
    तेरी किलकारियाँ जैसे किसी झरने से
    दुध की धार निकल आई हो
    तेरा भोलापन जैसे दुधिया चाँदनी
    मेरे आँगन में उतर आई हो
    तेरी शरारतें जैसे कोई खरगोश
    जंगल से निकल मेरे घर में घुस आया हो !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

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    उत्तर
    1. बहुत, बहुत आभार आपका। अपना प्रेम बनाए रखें।

      हटाएं
  2.  जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 15 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. असाधारण रचना भाव अंतर तक उतर गये जीवन की सार्थकता को बच्चे के माध्यम से समझाती बहुत सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  4. आपने tippnii प्रकाशित नहीं की ???

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    उत्तर
    1. कुछ तकनीकी खामी की वजह से, क्षमा करें।

      हटाएं

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