निस्सीम / जब हृदय अहोभाव से भरा हो तो ऐसी पंक्तियाँ उतरती हैं.......


निस्सीम 

इस निस्सीम ब्रह्मांड में
जब उसने मुझे मेरी क्षुद्रता दिखाई
मैं उस असीम में डूबती चली गई
अनंत विस्तार था
अथाह गहराई 
और मुझे उड़ना नहीं आता था
न तैरना
खुद को उसके भरोसे छोड़ दिया
तब बोध हुआ 
जब अंत ही नहीं
छोर ही नहीं
तो गिरने के भय का कोई कारण भी नहीं ।
                                                


                                                   .....मुकुल अमलास.....



(फोटो गूगल से साभार)

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