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काश्मीर भारत का सिरमौर है । सिर्फ नक्शे में ही नहीं बल्कि वास्तव में भी । प्रकृति ने बड़ी उदारता से सजाया है उसे और बेपनाह खूबसूरती बख्सी है । जितने सुंदर वहाँ के लोग हैं उतनी ही सुंदर घाटियां और पहाड़ें । निश्चय ही ज़न्नत को देखने का एहसास सा है कश्मीर ।

काश्मीर तू ने दिये आँखों को अनगिनत दिव्य, सुन्दर दृश्य जो बन कर रहेगी अब विरासत सदा मेरे जीवन की मरते दम तक अब कैसे भूलेंगे वो सुन्दर नज़ारे जो गुमा देती रही धरती पर स्वर्ग के उतर आने की बहती नदियाँ ले गईं मुझे भी बहा कर दूर तलक देखा सपना मैं ने मेरे वज़ूद के पानी में मिल जाने की ऊँचे ऊँचे पर्वत और उसपे छाई बादलों की घटायें लगता है यूँ जमीं है पर आसमां के कहीं गुम जाने की चीड़, देवदार के वृक्ष खड़े हैं पहाड़ों पे कुछ ऐसे तन के जैसे खाई हो जां की कसम इन वादियों के रखवाली की फर के दरख़्तों को देख के होता है मुझे कुछ ऐसा गुमा जैसे ओढ़ के खड़ा हो  कोई इंसा   कंबल पाश्मीने की  भूरी, नीली, सफेद पहाड़ों की श्रृंखलाएँ गूँथी हैं यूँ आपस में निसर्ग सुंदरी ने जैसे पहना हो कोई हार अनेक रंगों की कैसा करिश्मा है नदी बहती है तो दूध का गुमां होता है ये वादिये कश्मीर जी करता है तेरी सूरत पे मर जाने की ।