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क़तार

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क़तार क़तार में खड़ा है देश  रफ़्तार है रुकी हुई  अपना पैसा आप नहीं मिलता  साँसें हैं थमी हुई पर चुप रहूँगा मैं  आवाज नहीं उठाऊँगा  विरोध प्रकट किया अगर  देशद्रोही कहलाऊँगा  क़तार में खड़े -खड़े  मातृभूमि का कर्ज़ चुकाऊँगा  भूखा हूँ तो क्या हुआ  मर नहीं जाऊँगा  अगर दो दिन नहीं खाऊँगा  स्वच्छता अभियान में  सरकार का साथ निभाऊँगा  नींद बहुत आयेगी तो  सड़क पर ही सो जाऊँगा  लोकतंत्र का पैरोकार हूँ  लोकतंत्र ने ही सिखाया है  लंबी-लंबी लाईन में हमने वोट गिराया है  देश का सारा धन सिमट गया कुछ हाथों में ईमानदारी से आयकर चुकाऊँगा  पर उनपर उंगली नहीं उठाऊँगा  लोकतंत्र की घुट्टी पीकर  अबतक गृहस्ती चलाई है  लोकतंत्र जब खतरे में है  तो अब क्यों पीठ दिखाऊँगा  क़तार में जीना क़तार में मरना  हमने अब है सीख लिया  लोकतंत्र में लोक की आफत  यही मंत्र दोहराऊँगा ।                                                              ---मुकुल सिन्हा अमलास ( फोटो गूगल से साभार )