यह विश्राम की वेला है

यह विश्राम की वेला है दिन ढ़ल चुका सांझ घिर आई शरीर थक चुका अब यह विश्राम की वेला है बंधनों में जकड़े चित्त को अब मुक्ति चाहिए चिर निद्रा में जाने से पहले कर लूं खुद को थोड़ा निर्भार दिल पर कोई बोझ न रहे खोल दूं बंधनों के तार कर दूं सबको अपनी अपेक्षाओं से मुक्त बहुत देखा, बहुत पाया अब समझने का क्षण कि है सब पुनरोक्ति अब समय आ गया खुद में उतरने का विश्राम में जाने से पहले कर लूं खुद को थोड़ा तैयार पलकों को धुल जाने दूं आंसूओं से कर लूं थोड़ा वज़ू एक सुखद, सुंदर स्वप्न के लिए ताकि उतर सके आंखों में प्रियतम जिससे होगा अब मिलन अब मिलन का क्षण आने को है कर लूं सफ़र की थोड़ी तैयारी थोड़ा गुनगुना लूं बिखर जाने दूं मधुर संगीत की स्वर लहरी चारों ओर डोल लूं थोड़ी देर इस मस्ती में डूब जाऊं आकंठ उत्सव के आनंद में जब वो पूछेगा - मैं ने तो तुम्हे...