मानसून की पहली बरखा के साथ सारा परिदृश्य बदल गया, गर्मी से राहत मिली, मन को सुकून | ऐसे मौके पर पेश है एक छोटी सी रचना मौसम की पहली बरखा................

मौसम की पहली बरखा इस मौसम की पहली बरखा यहाँ हुई अभी-अभी सोंधी-सोंधी खुशबू आती है मिट्टी से भली-भली। सबकुछ धुल कर साफ हो गए छत आँगन गली-गली ठंढी हवा का असर मस्त है लगती तबीयत भरी-भरी। कितनी बेरंगी और झुलसी थी जिंदगी मरी-मरी बिजली चमकी मेघ उड़े तो लय में आ गई खड़ी-खड़ी। माल-मवेशी बूढ़े और बच्चे छोटी सी गुइयाँ ता-ता थई-थई घर के बाहर निकल पड़े सब ताजी हवा में खुली-खुली। वर्षा की बूँदें टप-टप बरसे पास में चाय की प्याली भरी-भरी साथ दोस्तों की दिलकश बातें गर्म कबाब हो तली-तली। -----मुकुल अमलास ( चित्र गूगल से साभार)