कार्यालय
कार्यालय
उतरा हुआ चेहरा
थका हुआ शरीर
चारों ओर पसीने की महक
लोंगों की लम्बी कतार
अंगूठे लगाते हाथ
मोटी मोटी फाइलें
गुटका खाते हुए चपरासी
कर्मचारियों का उबा हुआ चेहरा
अधिकारियों के चेहरे पर निर्जीव सी
निर्लिप्तता
कैसी जिंदगी है यह
यहाँ जिंदगी दौड़ती नहीं रेंगती है
जहाँ जीवन छोटा होता जाता है
पहचाना इस जगह को
जी हाँ यह राज्य सरकार का कोई भी
कार्यालय हो सकता है
जहाँ पेशाब करने की सुविधा उपलब्ध तो
हो पब्लिक के लिए
पर उसमें जाने की हिम्मत आप न जुटा पाएँ
और अगर कोई शौचालय बेहतर स्थिति में
दिख भी जाए
तो उसमें ताला लगा हो
जी हाँ ऐसे ही कार्यालयों से हमें
उम्मीद करनी है
कि जनता के लिए वे शौचालय बनवायेंगे
और एक स्वच्छ भारत का निर्माण होगा ।
----मुकुल अमलास ----
(चित्र गूगल से साभार)
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