नए साल की आमद कुछ-कुछ ऐसी हो।
बची रहें कुछ यादें मीठी, आगे नया जमाना हो
नए साल की आमद कुछ-कुछ ऐसी हो।
प्रति पल जीवन लगे नया
हर क्षण को जीना आ जाए
बीते का कुछ मोल नहीं
ज़हन में बात उतर जाए .......
अहोभाग्य से भरे रहें, सर प्रभु के आगे नत हो
नए साल की आमद कुछ-कुछ ऐसी हो।
भले न हो अंबार सुखों का
मुस्कान की लाली हो
भले न हो भंडार स्वर्ण का
थाली न खाली हो .........
पड़े माँगना कभी किसी से ऐसी न कभी गत हो
नए साल की आमद कुछ-कुछ ऐसी हो।
आगत की चिंता न सताए
जो होना हो सो हो
कर्मठता को साधें हर पल
वर्तमान में जीना हो ..........
रहे सदा मस्ती का आलम, बेफ़िक्री की मत हो
नए साल की आमद कुछ-कुछ ऐसी हो।
प्रकृति हर पल नवीन है
यही सुध खुद में लाएं
बन प्रकृति का हिस्सा खुद भी
नवीन दृष्टि यह पाएं..........
जीवन अपना नई लिखावट में, लिखा हुआ खत हो
नए साल की आमद कुछ-कुछ ऐसी हो।
सुख-दुःख दोनों सम हो जाए
जीवन का गणित सध जाए
हँसना-रोना दोनों जायज़
जीवन न नीरस हो पाए ..........
जैसे चैन से कटी जिंदगी, आगे भी ऐसी पत हो
नए साल की आमद कुछ-कुछ ऐसी हो।
नहीं विपत्ति से कभी डरें हम
उससे लड़ना आ जाए
हार जीत से सबक सीख
सदा आगे बढ़ना आए .............
रोग व्याधि का पड़े न साया, न बुरी कोई लत हो
नए साल की आमद कुछ-कुछ ऐसी हो।
मानव जीवन हुआ जिस कारण
वह हेतु सध जाए
कमजोर न होवे संकल्प की शक्ति
अज्ञान तिमिर छंट जाए............
जो ठाना उसे करने का, विश्वास
न कभी हत हो
नए साल की आमद कुछ-कुछ ऐसी हो।
जिसने दिया बिन माँगे जीवन
माँगो तो क्या न दे
उसके प्रेम से भरे जो गागर
वह पात्र हमें कर दे .............
श्रद्धा-भक्ति से पूरित मन, सदा उस में रत हो
नए साल की आमद कुछ-कुछ ऐसी हो।
...........मुकुल
अमलास
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