आज मदर्स डे के मौके पर जब सभी अपनी अपनी माँ को याद कर रहे हैं मुझे भी अपनी माँ की याद आई और अनायास ये पंक्तियाँ दिल से निकलीं ........आज दिल में हूक उठती है सभी पलकें भिंगोते हैं , मगर जबतक माँ रही जिंदा हम उसको कितना सताते हैं ।
न जाने कहां वो चले गये
खेत, खलिहान, नदी, पहाड़ सब ज्यों के त्यों हैं यूँ ही खड़े
खेत, खलिहान, नदी, पहाड़ सब ज्यों के त्यों हैं यूँ ही खड़े
सिर्फ जिंदगी में ही क्यों भला इतने तूफां आ के चले गये ।
अब ढूंढती हैं नजरें उन्हें जिनकी आँखों के हम नूर थे
दर बदर खोजा उन्हें पर उनके साये भी हमसे दूर थे ।
दर बदर खोजा उन्हें पर उनके साये भी हमसे दूर थे ।
खैरो ख़बर मिलती नहीं किस जहां में जाके वो सो गये
है कौन सी वो गली कि जहाँ जाके वहीं के वो हो गये ।
है कौन सी वो गली कि जहाँ जाके वहीं के वो हो गये ।
बड़े नाजों से पाला हमें तामील,तमीज और तहजीब दी
कभी भूल हमसे जो हुई कभी माफ करने में न देर की ।
कभी भूल हमसे जो हुई कभी माफ करने में न देर की ।
कभी अपनी ख़बर भेज़ी नहीं न कोई ख़त, पैगाम दिये
जो हमारे फिक्र में जीते थे आज इतने सख़्त कैसे हो गये ।
जो हमारे फिक्र में जीते थे आज इतने सख़्त कैसे हो गये ।
रो रो के हमने सदायें दी, उन्हें बार बार पुकारा किये
वो लौट कर न आये फिर न जाने किस जहां में खो गये |
वो लौट कर न आये फिर न जाने किस जहां में खो गये |
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