सच्ची आज़ादी अभी बाकी है

मनाओ जश्न कि देश आज़ाद हुआ
फहराओ ध्वज कि देश आज़ाद हुआ
पर सोचना ज़रा
क्या आज़ादी का मतलब
सिर्फ़ ब्रितानिया शासन से मुक्ति भर ??????

आज़ादी का अर्थ न इतना सीमित करो
ज़रा सोचो थोड़ा गौर करो.....

यह तो पक्षी की अनंत परवाज़
यह तो टूटते जंजीरों की झंकार
यह तो हर जीव के आत्मा की आवाज
नहीं जिसके बिन किसी का निस्तार

उन्नति का आगाज़ अभी बाकी है
भूख और गरीबी से आज़ादी अभी बाकी है
धर्म जाति की कट्टरता से मुक्त होना होगा
सबको उसकी हक़ का जायज़ हिस्सा देना होगा

अभी से थक गए जो हम
तो कौन आवाज़ उठाएगा
अभी से जश्न में डूबे अगर तुम तो
कौन सवाल उठाएगा

कि नहीं आजादी
तीन अक्षरों के मेल से बना शब्द भर
न तीन रंगों से सजा एक ध्वज भर।

........मुकुल अमलास ......




(चित्र गूगल से साभार)

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मायका होता है बेटियों के लिए स्वर्ग की देहरी पर वह अभिशप्त होती हैं वहाँ ठहरने के लिए सिर्फ सीमित समय तक। शायद इसीलिए उसका आकर्षक है। मेरी यह कविता मायके आई ऐसी ही बेटियों को समर्पित ......

सन्नाटा और शान्ति में बड़ा सूक्ष्म अंतर है उसे एक समझने की हमें भूल नहीं करनी चाहिए , अंततः सबका लक्ष्य तो शांति प्राप्त करना ही हो सकता है ........

नए साल की आमद कुछ-कुछ ऐसी हो।