चाहत जिंदगी को रंगीन बना देती है और अगर मन पसंद साथी मिल जाये तो जिंदगी सँवर जाती है, फिर चलता है रुठने और मनाने का सिलसिला कुछ ऐसी ही प्रेम कथा इस कविता में .........

जिंदगी सँवर जाये


रात भर नींद न आई तेरे तसव्वुर में 
सुबह हुई तो सोई फिर तेरे सपने आये 
छोटी सी नैया हूँ मैं किनारे की चाहत है 
तेरे हाथों में हो पतवार तो साहिल मिल जाये 
रात बड़ी गहरी है तनहाई का आलम है 
यादों के मेले से क्यों न फिजा रोशन हो जाये 
चाहा है तुझे टूट के तू ही मेरा हमदम है 
ऐ रब कर कुछ ऐसा तुझको ये खबड़ हो जाये 
तुझको छू के आती है जो ठंडी हवा 
तू ही बता क्यों न अंग- अंग मेरा सिहर जाये 
अकेले चल चल के थक गये हैं पाँव मेरे 
आ मेरे क़रीब आ कि अब तो मंजिल मिल जाये
जी करता है कि जी भर के तुझे प्यार करूं 

सारी रंजिश तेरी हमेशा के लिये कहीं खो जाये
जी में आया है कि सपनों का एक घरौंदा बने 
हम तुम एक साथ रहें और जिंदगी सँवर जाये ।

                                                                     मुकुल कुमारी अमलास 



( चित्र गूगल से साभार ) 

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