अच्छा लगता है

अपनी इच्छाओं पर हमेशा लगाम कसे रहना  अच्छा नहीं होता , कभी उसे बेलगाम कर छूट भी देनी चाहिए, फिर कायदे से बाहर जाने पर क्या अच्छा लगता है देखिए  इस कविता में ़़़़
 
अच्छा लगता है 
सागर किनारे रेत पर बैठ
तेरे कंधे का सहारा लिये
नि:शब्द, मौन निहारना
उठती-गिरती लहरों को
अच्छा लगता है |
अच्छा लगता है
छत पर सफेद चादर बिछा
तेरे बाँहों का तकिया बना, लेटना
और तकना निस्सीम नीले आसमान को
अच्छा लगता है |
अच्छा लगता है
एक लंबी ड्राइव पर निकलना
बैठ तेरे साथ कार में और सुनना
एक मधुर, मोहक लोकगीत अपने गाँव का
अच्छा लगता है |
अच्छा लगता है
मक्के की रोटी के साथ
सरसों का साग परोसना और
उसकी सौंधी खुसबू में डूब
तुम्हें चटकारे ले कर खाते देखना
अच्छा लगता है |
अच्छा लगता है  
घनघोर बरसात में,
चमकती हुई बिजली और
गरजते हुए बादलों से 
झूठमूठ डरकर तुमसे लिपटना
अच्छा लगता है |j
अच्छा लगता है
काली, अंघेरी आधी रात में
गर्म, नरम बिस्तर में
लिपटे हुए तेरी बाँहों में
पिघल जाना जिस्मों जान का
अच्छा लगता है,
अच्छा लगता है |  
 


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