छठ के पवित्र अवसर पर सूर्यदेव को अर्घ्य स्वरूप समर्पित मेरी यह कविता........

सूर्योपासना

हे मार्तण्ड, आप अनंत उर्जा के स्रोत हो
इस तेजोमय उर्जा के एकांश से हमें आप्लावित करो |
हे दिवाकर, आप दिव्य प्रकाश के पुंज हो
इस प्रकाश से हमारे अंतस के अंधेरे को दूर करो |
हे आदित्य, आप ही इस ब्रह्मांड के आदि और अंत हो
इस क्षणभंगुर जीवन को शाश्वत के दर्शन करा दो |
हे दीनानाथ, आप ही दीन-हीन के रक्षक हो
इस दुनिया के दुःख दूर कर उसका मंगल करो |
हे भानू, आप तेजस्वी और ज्योतिर्मय हो
इस ज्योति से संसार के अमंगलकारी विध्नों को दूर करो |
हे पूषण, आप ही धरती के सुख-समृद्धि के मूल हो
इस पोषक रुप से हम निर्बलों और निर्धनों को पोषित करो |
हे उदयाचलगामी आप का उदय जीवनदायनी है
इस जीवन को परहितार्थ जीने का आशीर्वाद दे दो |
हे अदिति सूत, आप ही हर जीव और वनस्पति के प्राण हो
इस प्राण को दिव्यात्मा से मिलाकर अमरात्मा बना दो |
हे भास्कर, आप  अदभूत रश्मियों से युक्त हो

इस स्वर्णिम किरणों से हम सूर्योपासकों का कल्याण करो |  

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