प्रिय बिन ये निःसार है जीवन । अपने प्रिये से बिछुड़ना अपूरणीय क्षति होती है जो जीवन को अर्थहीन बना देती है । किसी अपने को इस दुःख में देख स्वतः ये पंक्तियां उतर आयीं ...............
प्रिय बिन ये निःसार है जीवन
प्रिय बिन ये निःसार है जीवन
जल बिन सूखी धार है जीवन
रंगहीन मधुमास है जीवन
दुःख,दर्द, संताप है जीवन
तरु से विलग पात है जीवन
आँसू, रुदन, क्लेश है जीवन
कल्प सा लंबा भार है जीवन
मरुस्थल का ताप है जीवन
बिन बूंदों का बादल जीवन
बिन प्राण का तन है जीवन
रंग विहीन, बेस्वाद है जीवन
तमस है, काली रात है जीवन
बिन पतवार की नाव है जीवन
दैव का दिया अभिशाप है जीवन
विरह की व्यथा, विलाप है जीवन
तुम बिन नहीं सत्य यह जीवन
सत्य का ढोंग, असत्य है जीवन ।
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