सच्चे प्यार की पहचान आसान नहीं, अक्सर वह भ्रम ही होता है ।प्रेम बड़ी पवित्र चीज है उसमें कोई मांग नहीं होती । उसकी पवित्रता तबतक बनी रहती है जबतक हाथ से छू कर उसे गंदा न किया जाय और यह हाथ किसी का भी हो सकता है ........
प्यार का भ्रम
प्यार का भ्रम सबसे बड़ा भ्रम होता है
जो हमें गुमराह कर देता है
हम हो जाते हैं उसके अधिन
वह हमारा वर्तमान ही नहीं लेता
भविष्य भी छीन लेता है
कुछ लोग अपनों के भेष में छिपे भेड़िये होते हैं
उसके बड़े नाख़ून दिखाई नहीं देते
न लोलुप निगाहें
जो हमारे मांस को नोचने वाले हैं
उसकी मीठी बोली हमें बरगलाती है
उसके अपनेपन का स्वांग
हम पर जादू कर देता है
और हम हो जाते हैं उसके अधिन
फिर वो बड़े चाव से हमारे
मांस और मज्जे को चूस चूस कर खाता है
और हम रह जाते हैं
एक नर कंकाल मात्र
फिर जिंदगी हो जाती है
रेगिस्तान सी शुष्क, नीरस, निष्प्राण
फिर क़ोई अमृत घट पिलाने वाला
सबकी जिंदगी में नहीं आता
प्रेम जब भी वासना का रुप धरती है
प्रेम वाष्प बन कर उड़ जाता है
रह जाती है कोरी लिप्सा
और हम भ्रम में रहते हैं कि
हम प्रेम में हैं ।
-- मुकुल कुमारी अमलास
(चित्र गूगल से साभार)
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