किसी प्रिये का जीवन में होना एक वरदान है और इसका महत्व वही समझ सकता है जो इस वरदान से वंचित है | चलिये इसी बहाने एक कविता सबके लिये........

एक कुमुदिनी कुम्हलाई सी 



तुम हो मेरे पूर्ण पुरुष से 
मैं एक अतृप्त अभिलाषा सी 
तेरी छुअन मुझको है लगती 
देह की कोई परिभाषा सी ।


संग संग मैं तेरे चलूँगी 
बन कर एक परछाई सी 
तेरे बिन मेरी क्या हस्ती 
तितली इक बौराई सी  ।


तेरे बिन सूना यह जीवन 
जैसे  बगिया बिन फूलों की
तेरे बिन जब सांसें चलती
लगती दुनियाँ हरजाई सी ।


तुम मेरे अस्तित्व पे छाये 
जैसे किरण हो सूरज की 
तेरी किरण से खिल उठती मैं
जो थी कुमुदिनी कुम्हलाई सी ।

                                       
                                               मुकुल कुमारी अमलास 


      

  ( चित्र गूगल से साभार ) 

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