हर व्यक्ति को जिंदगी में कुछ इंसान ऐसे जरूर मिलते हैं जिन्हें समझना उसके लिए कठिन होता है, ऐसे ही एक इंसान को समझने की मेरी कोशिश.......

हमसफर

थोडे जुल्मी हो थोड़े बेरहम से हो, क्या कहूँ कि कैसे हो
तूझे समझ न पाई अब तक कहने को तो हमसफर हो |
पत्थर सा सख्त दिल तेरा, कभी तुझसे टकड़ा सर फोड़ूँ
कभी फिसल ही जाऊँ ऐसे  मक्खन से नरम तुम हों |
तेरे ताने छलनी कर जाते,  तेरी बातें हैं कड़वी लगती
पलभर में फिर क्यों लगता,ज्यों मिसरी की डली तुम हो|
मुझसे कुछ लेना न देना, कुछ ऐसे बेपरवाह बनते हो
मैं दूर अगर हूँ फिर क्यों,  बेचैन तुम हो  जाते हो |
कभी बन कृपण मुझको तुम, दुनियादारी सिखलाते हो
कभी किसी अजाने मानुष पर, अपना सर्वस्व लुटाते हो |
बहुत सोचा बहुत विचारा, पर तह तक पहुँच न पाई
किस मिट्टी से बने तुम हो, मानव हो या  फरिस्ता हो |      

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