लद्दाख का भ्रमण जैसे किसी दूसरी दुनियाँ में पहुँचने जैसा है और वहाँ प्राप्त हुये अनुभव नितांत अलग और पाकीजा,बहुत कुछ ऐसा जो पहले कभी न देखा और महसूस किया हो .......

लद्दाख


यहीं आ कर देखा मैं ने 
आसमान का असली नीला रंग 
यहीं आ कर देखा मैं ने 
इतने ऊँचे पर्वत जो आसमां को भी छोटा बना दे 
यहीं आ कर देखा मैं ने 
असीम, अटूट, दिव्य शान्ति 
जो मन की बेचैनी को चैन की नींद सुला दे 
यहीं आ कर देखा मैं ने 
निश्छल, निर्मल, पवित्र,अनछुये बर्फ से ढँकी चोटियाँ 
जो तपस्वी की भाँति अपना आशीर्वाद बरसा रहा चहुँ ओर 
यहीं आ कर देखा मैं ने 
निर्झर, शीतल, सुगंधित हवाएँ 
जो फैलाती हैं अपने चारों ओर असीम आनंद की लहरें 
यहीं आ कर देखा मैं ने 
निर्जन पर ऊर्जान्वित, जीवंत पहाड़ियाँ 
जो निरंतर फैलाती हैं ऊर्जा का संवेग और कंपन 
यहीं आकर देखा मैं ने 
फूलों में दुनियां के असली रंगों को 
जिसमें सागर की नीलिमा भी है, सुगंध की गहराई भी 
यहीं आकर देखा मैं ने 
पहाड़ों पर फैली बादलों की घटाएँ 
जो विलीन कर दे धरती आसमान की दूरी 
और बना दे दोनों को एक ।
        

......मुकुल अमलास 



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